बड़ी बोल सबसे अलग 

गैंग्स ऑफ वासेपुर: सोशल मीडिया का नया ट्रेंड, प्रिय नेटिजन्स्, लोश फरमाइए, समझने नहीं, बोलने को डायलॉगस् मिलेंगे

व्यंग्य

प्रिय नेटिजन्स्, लोश फरमाइए

क्या आप जानते हैं कि “गैंग्स ऑफ़ वासेपुर” केवल एक फिल्म नहीं, बल्कि एक सोशल मीडिया ट्रेंड भी बन चुकी है? जी हां, इस फिल्म के प्रसिद्ध संवादों और चरित्रों ने ऐसा जादू किया है कि हर कोई खुद को एक स्थानीय गैंगस्टर समझने लगा है। आइए, इस खास ट्रेंड पर एक नजर डालते हैं।

सामाजिक मीडिया पर गैंगस्टर बनने की कला

“गैंग्स ऑफ़ वासेपुर” ने सोशल मीडिया को एक नया आइडिया दिया है- वर्चुअल गैंगस्टर बनने का। अब आप बिना किसी रीयल लाइफ ड्रामा के, बस अपने फोन से, गैंगस्टर बनने का सपना देख सकते हैं। “तुमसे ना हो पाएगा” जैसे संवाद को अपनी ज़िंदगी की बायलाइन बना लेना, एक नया ट्रेंड बन गया है। हां, ये आपके काम को और भी आसान बना देता है- आपको किसी की हड्डियां नहीं तोड़नी पड़तीं, बस अपना स्टेटस अपडेट करना होता है।

डायलॉग डिलीवरी का नया तरीका

अब सोशल मीडिया पर हर बातचीत गैंग्स ऑफ़ वासेपुर के संवादों में ही होती है। आपके दोस्त ने अगर सवाल पूछा कि क्या आप आज काम पर नहीं जा रहे, तो जवाब मिलेगा, “लखनऊ में एक ही जगह है, जिधर से गुजर नहीं सकते, वो जगह है-घर।” अरे भई, इससे ज़्यादा क्रिएटिव जवाब और क्या हो सकता है?

मेम्स की चपेट में सब कुछ

फिल्म के डायलॉग्स और पात्रों पर आधारित मीम्स की भरमार हो गई है। अब जब भी आपका दोस्त बोर हो रहा होता है, आपको एक ताज़ा “रजाई में ताजगी” मीम भेजना ही पड़ेगा। और हां, “सेकेंड हाफ में चाय पिलाऊंगा” जैसी बातें भी अब हर मीम (मेम) की विशेषता बन गई है।

फिल्म के परसेप्शन में बदलाव

गैंग्स ऑफ वासेपुर के संवाद अब एक ऐसा हिस्सा बन गए हैं, जिनका उपयोग हर छोटे से छोटे मुद्दे पर किया जाता है। अगर कोई लंच के लिए लेट हो जाए, तो सोशल मीडिया पर “अरे, तुमसे ना हो पाएगा” की चिल्ल-पौं सुनने को मिलती है।

वर्चुअल गैंग्स:

अब हर दोस्त ग्रुप में एक ‘गैंग’ की तरह व्यवहार करने लगा है। आप भी अब अपनी वर्चुअल गैंग के ‘वाला’ बन गए हैं और एक-दूसरे से गैंगस्टर डायलॉग्स के माध्यम से ही बात करते हैं। क्या शानदार बात है- वर्चुअल गैंगस्टर, बिना किसी फिजिकल इन्काउंटर के!

सारांश में

“गैंग्स ऑफ़ वासेपुर” ने न केवल फिल्म इंडस्ट्री में बल्कि सोशल मीडिया पर भी एक अनोखा ट्रेंड सेट किया है। यह फिल्म हमें यह याद दिलाती है कि सच्चे गैंगस्टर वही हैं, जो अपने डायलॉग्स को रियल लाइफ में भी उतारे- वह भी बिना किसी सच्ची खून-खराबे के।

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